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ठोकर जरूरी है



कहीं सुना था लाखों करोड़ो जीवो में सिर्फ इंसान ही अकेला जीव है जिसे बुद्धि दी है मगर ये कोई अद्भुत बात नहीं मगर एक गुण ऐसा है जो उसे अद्भुत बनाता है और वो है उसका साहस,जीत का जुनून , जिद़, झूझने की हिम्मत!


ऐ समंदर मान ले तु अकेला खारा नहीं,
दर्द और तकलीफ से कौन है मारा नहीं।
जिद़ रही है जान जब तक हार तो मानू नहीं,
        जीत है या मौत मंजिल़ तीसरा चारा नहीं।            
                           दशरथ रांकावत "शक्ति"




जिद़ इंसान से वो करवा सकती है जो असंभव लगता हो पूरी दुनिया में ऐसे कई लोगो की कहानी आपने भी सुनी होगी मगर क्या है जो इनको असंभव को करने को मजबूर करता है।
हाँ वही जिसे हम कहते है - ठोकर, धोखा, धक्का

मगर ये इतना भी आसान नहीं क्या क्या नहीं करना पडता है कभी मंजिल ने इंसान से पूछा था:-


मंजिल

ऐ विजेता पूछे मंजिल यूं ही क्या बस दौड़ आए,
पथिक कहते राह मुश्किल तू बता क्या मोड़ आए। 
पैर में छाले है कैसे आंख में पानी है क्यों,
सच बता क्या क्या है खोया राह में क्या छोड़ आए।

विजेता

सुन ओ मंजिल जीत तो कुछ पल का बस आराम है, 
जिंदगी चलने का नाम और मौत से संग्राम है।
हार से सीखो सबक पर जीत पर अकड़ो नहीं,
यह सबक सीखा है जिसने बस उसी का नाम है।
                    दशरथ रांकावत "शक्ति"

मंजिल तक पहुचने के लिए दुख सहने पडते है दर्द को पीना पडता है पसीने में नहाना पडता है तब जाकर मिलती है जीत, लक्ष्य, मंजिल। 


जीवन में बादल जब दुःख के काले छायेंगे,
इंसान की औलाद हूं आँसू तो आयेंगे। 
मंजिल तक जाते रस्ते पथरीले आयेंगे, 
इंसान की औलाद हूं आँसू तो आयेंगे। 
जो ठान लिया मन में उसको करके दिखलाना है, 
अनजाने रस्ते पर बेशक बढते जाना है।
डरना मत तुफानो से दरिया में जाना है, 
लहरो के विपरीत तैरकर पार लगाना है। 
सागर के मजबूत थपेडे़ जब दूर गिरायेंगे, 
इंसान की औलाद हूं आँसू तो आयेंगे।
जो करना है करने को भाई अड़ना पढता है, 
दुनियां क्या घर वालो से भी लडना पढता है। 
मत पुछो पाने को क्या क्या करना पढता है, 
जीने के खातिर भी कितना मरना पढता है। 
नया कही कुछ करने की जब मन में लायेंगें,
 इंसान की औलाद हूं आँसू तो आयेंगे।
आंसू बस खारा पानी है आँख का बहने दो, 
दुनिया जो कहती है उसको कहने दो। 
जो अपना है साथ रहेगा छोड़ पराये जायेंगे, 
जो जीत गया चर्चे तेरे सब दुश्मन गायेंगे। 
गिरना पडता है उठने को चोटे भी खायेंगे,
इंसान की औलाद हूं आँसू तो आयेंगे। 
                     दशरथ रांकावत "शक्ति"


सच ही कहा है :-
       मंजिल का मजा ना आता किसी को, 
जो राहो में कांटे ना होते।
सुख बेस्वाद ही लगता सबको, 
जो जीवन में दुख बांटे ना होते ।। 
             दशरथ रांकावत "शक्ति" 

Comments

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